संवाददाता
साहिबाबाद। “लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट” द्वारा लौह पुरुष, स्वतंत्रता सेनानी, जन-जन के नेता भारत के गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म दिवस समारोह “लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट” द्वारा ज्ञान पीठ केन्द्र स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड सहिबाबाद के प्रांगण में मनाया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी डा0 देवकर्ण चौहान ने किया, मुख्य वक्ता संस्था के अध्यक्ष राम दुलार यादव रहे, आयोजन रामप्यारे यादव, संचालन शिक्षाविद् मुकेश शर्मा ने किया| कार्यक्रम को सी0 पी0 सिंह, एस0 पी0 छिब्बर, अनिल मिश्र, अंशु ठाकुर ने भी सम्बोधित किया, सैकड़ों साथियों ने सरदार बल्लभ भाई पटेल के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनका स्मरण कर उनके बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया, कार्यक्रम के बाद मिष्ठान वितरित किया गया| पण्डित विनोद त्रिपाठी ने गीत प्रस्तुत किया|
समारोह को सम्बोधित करते हुए “लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट” के अध्यक्ष राम दुलार यादव ने कहा कि आज मै उन शक्तियों का धन्यबाद करता हूँ जो सरदार बल्लभ भाई पटेल के विचार पर कभी एक कदम नहीं चले उनका जन्म दिन कभी नहीं मनाया अब जोर शोर से मना रहे हैं यह गौरव की बात है, सरदार पटेल अंग्रेजों से लड़ाई लड़कर किसानों को उनका हक दिलवाया, उनकी लगान माफ़ करवाया, अन्याय से मुक्त करवाया| आज वर्तमान सरकार में सबसे अधिक यदि कोई परेशान है वह किसान है न उसकी फसल का उचित मूल्य ही मिल रहा है न वादे के हिसाब से कर्ज ही माफ़ हुआ वह आत्म हत्या के लिए मजबूर है, वह संकट में है, सरकार 3000 करोड़ की मूर्ति सरदार पटेल जी की लगाकर वाहवाही लूटना चाहती है लेकिन देश में दूध मुहे बच्चे आक्सीजन के अभाव में दमतोड़ देते है उनके लिए कोई भी संवेदना नहीं है| गरीब को दवाई नहीं मिलती, देश में शिक्षा की हालत दयनीय है वर्तमान सरकार कैसा भारत बनाना चाहती है यहाँ भाई से भाई को, जाति से जाति को, धर्म को पाखण्ड व अन्ध विश्वास फैलाकर लड़ाया जा रहा है, सरदार पटेल भाईचारा, सद्भाव, प्रेम के प्रबल पक्षधर थे, अहमदाबाद में दंगा हो गया, जब आप वहां गये तो लोगों के बीच में कहा कि हिन्दू-मुस्लिम दंगा अहमदाबाद के माथे पर कलंक है यह तभी मिटेगा जब यहाँ के रहने वाले संकल्प ले कि दंगा की अब कभी पुनरावृत्ति नहीं होगी|
केन्द्र सरकार अब महापुरुषों को बाटने का कार्य कर रही है इनका मत है कि जवाहरलाल जी व पटेल जी में मतभेद है लेकिन मै आप लोगों से कहना चाहता हूँ कि स्वयं पटेल जी 1950 में जब गम्भीर बीमारी के शिकार हो गये तो उन्होंने कहा कि मुझे बहुत ही दुःख है कि आज जवाहरलाल का एक कन्धा बीमार हो गया अब उन्हें अथक परिश्रम करना पड़ेगा| यह कथन इस बात का प्रमाण है कि वे पण्डित जवाहरलाल के लिए कितने संवेदनशील थे| सरदार पटेल 30 जनवरी 1948 को जब गाँधी जी की हत्या हो जाती है अपनी सरकार के विरोध में रहे तथा आज जो विचारधारा उनकी मूर्ति लगा रही है गुजरात में आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगा दिया था| वे हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल पक्षधर तथा भारत माँ के असली सपूत थे, जो शक्तियां महापुरुषों में व जाति, धर्म में हमें विभाजित करना चाहतीं हैं उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है, लौह पुरुष के बताये रास्ते पर हम एक कदम चले यही उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी|
समारोह में प्रमुख रूप से शामिल एस0 पी0 छिब्बर, एस0 एन0 जायसवाल, वीर सिंह सैन, शिवशंकर शर्मा, डा0 देवकर्ण चौहान, सी0 पी0 सिंह, मुनीव यादव, फूलचंद वर्मा, ए0 के0 मिश्र, रामदुलार यादव, विजय मिश्र, रामप्यारे यादव, विजय भाटी, चुन्नीलाल चौरसिया, मंगल सिंह चौहान, मुकेश शर्मा, पण्डित विनोद कुमार त्रिपाठी, प्रभाशंकर मिश्र, सम्राट सिंह, सुन्दर भाई, रामपति, शंकर यादव, ब्रह्मपाल, बैद्यनाथ, रामसिंह, नागेन्द्र मौर्य आदि रहे|